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चेष्टा बिश्नोई की मौत के बाद परिवार ने किया अंगदान, 5 लोगों को मिली नई जिंदगी

Photo Source : Hindustan

Posted On:Thursday, December 19, 2024


पुणे न्यूज डेस्क: 9 दिसंबर को महाराष्ट्र के पुणे-बारामती मार्ग पर एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ, जिसमें एक एसयूवी पेड़ से टकराई। इस हादसे में दो प्रशिक्षु पायलटों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए। घायल होने वालों में राजस्थान के पोखरण की रहने वाली चेष्टा बिश्नोई भी शामिल थीं। हादसे के बाद चेष्टा कोमा में चली गईं, और 11 दिसंबर को पुणे के अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया, लेकिन इससे पहले उनके परिवार ने एक साहसिक निर्णय लिया और चेष्टा के अंगों को दान कर दिया।

चेष्टा बिश्नोई, जो पोखरण के खेतोलाई गांव की निवासी थीं, पायलट बनने के अपने सपने को पूरा करने की राह पर थीं। उन्होंने 200 घंटे की उड़ान प्रशिक्षण में से 68 घंटे की ट्रेनिंग पूरी कर ली थी। चेष्टा एक साल से पुणे में पायलट की ट्रेनिंग ले रही थीं और जैसलमेर जिले की पहली महिला पायलट बनने वाली थीं। चेष्टा की असमय मौत से पूरा परिवार और समाज शोक में डूब गए हैं, लेकिन इस दुख की घड़ी में उनके परिवार ने अंगदान का फैसला लेकर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।

चेष्टा के परिवार ने कठिन समय में भी अपने दिल से एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने अपनी बेटी के अंगों को दान करके पांच लोगों को नई जिंदगी देने का निर्णय लिया। चेष्टा के माता-पिता ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी बेटी के अंगों से दूसरे लोगों को जीवन मिले। चेष्टा के हृदय, लीवर, दोनों किडनी, और अग्न्याशय जैसे महत्वपूर्ण अंगों का दान किया गया, जिससे पांच लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

चेष्टा का इलाज नौ दिनों तक चला, लेकिन मंगलवार को उनका निधन हो गया। उनके परिवार के सदस्य इस कठिन समय में भी मजबूती से खड़े रहे और अंगदान करने का निर्णय लिया। यह निर्णय समाज में एक प्रेरणा बन गया, क्योंकि चेष्टा की असमय मौत के बावजूद उनके अंग दूसरों के लिए जीवन का कारण बने। चेष्टा का परिवार इस मुश्किल समय में भी साहसिक फैसलों के लिए सराहा जा रहा है।

इस हादसे में चेष्टा के साथी प्रशिक्षु पायलट तक्षु शर्मा और आदित्य कनासे की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि कृष्ण सिंह और चेष्टा गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह हादसा उस समय हुआ, जब चारों पायलट कार से बारामती से भीगवन की ओर जा रहे थे। चेष्टा की असमय मृत्यु ने पूरे समाज को हिला दिया, लेकिन उनके परिवार ने जिस तरह से अंगदान करके मानवता की मिसाल पेश की, उसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।


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